शुक्रवार, 5 मार्च 2021

ब-ज़ाहिर रौनक़ों में बज़्म-आराई में जीते हैं.../ सबीहा सबा

 https://youtu.be/KiByVkNFcQY 

ब-ज़ाहिर रौनक़ों में बज़्म-आराई में जीते हैं

हक़ीक़त है कि हम तन्हा हैं तन्हाई में जीते हैं

सजा कर चार-सू रंगीं महल तेरे ख़यालों के

तिरी यादों की रानाई में ज़ेबाई में जीते हैं

ख़ुशा हम इम्तिहान-ए-दश्त-गर्दी के नतीजे में

ब-सद-एजाज़ मश्क़-ए-आबला-पाई में जीते हैं

सितम-गारों ने आईन-ए-वफ़ा मंसूख़ कर डाला

मगर कुछ लोग अभी उम्मीद-ए-अजराई में जीते हैं

ब-ज़ाहिर - प्रकटतया 

रौनक़ों- चमक-दमक 

बज़्म-आराई - महफ़िल के श्रृंगार 

चार-सू - चारों ओर 

रानाई - सौंदर्य 

ज़ेबाई - सजावट 

ख़ुशा - भाग्यशाली 

इम्तिहान-ए-दश्त-गर्दी - जंगल-जंगल घूमने की परीक्षा 

ब-सद-एज़ाज़ - बहुत सम्मान / प्रतिष्ठा (सद - सौ)

मश्क़-ए-आबला-पाई - पैरों के छालों के अभ्यास 

सितमगारों - अत्याचारियों 

आईन-ए-वफ़ा - वफ़ादारी के तौर-तरीके

मंसूख़ - खारिज, रद्द, निरस्त 

उम्मीद-ए-अजराई - प्रत्युपकार की आशा   

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