सोमवार, 31 जनवरी 2022

नक़ाब-ए-चश्म मुसलसल उठाई जाती है.../ शायर : जिगर मुरादाबादी / क़व्वाल : उस्ताद अख़्तर अता मुहम्मद

 https://youtu.be/RoJPIAstslw 

Ustad Akhtar Atta Muhammad Qawwal is the son
of Ustad Hafiz Atta Muhammad Qawwal, a legendary
"Qari" and Qawwal who migrated to Pakistan in 1947
from Jalandar after partition.

नक़ाब-ए-चश्म मुसलसल उठाई जाती है
मैं पी चुका था मगर फिर पिलाई जाती है

हमारे दर्द से जब तुमको वास्ता ही नहीं
तो फिर नज़र से नज़र क्यों मिलाई जाती है

तुम अपनी मस्त निगाहों को क्यों नहीं कहते
हमें शराब की तोहमत लगाई जाती है

वहीं लुटी मेरे सब्र-ओ-क़रार की दुनिया
जहां ज़माने की बिगड़ी बनाई जाती है

हमारी कश्ती-ए-हस्ती का अब ख़ुदा हाफ़िज 
संभालता हूँ मगर डगमगाई जाती है 

झलक से तूर पे बिजली गिराई जाती है
ये आग ख़ुद नहीं लगती लगाई जाती है

क़रीब मंज़िल-ए-मक़्सूद अल-फ़िराक़ जिगर
सफ़र तमाम हुआ नींद आई जाती है

रविवार, 30 जनवरी 2022

जानकी-जानिः रामा...(संस्कृत) / गीत : यूसुफ अली केचेरी / संगीत : नौशाद / गायन : येसुदास

 https://youtu.be/sDKt280rb68 

Musical masterpiece on Lord Rama

Janaki  Janee... (Language : Sanskrit) 
from Film Dhwani (Malyalam, 1988)

Sung by  Yesudas, music by Naushad  And 
lyrics  by  Yusuf Ali Kecheri (none of them 
are Hindus and late  Yusufali Kechery   
was my class mate  in Sri Kerala Varma   
college, Trichur. Many of you might not 
have understood the greatness of the 
lyrics. Read the translation, hear the song 
and  be prepared to shed tears of devotion .

Translation  dedicated  to my classmate  Yusuf.
By
P.R.Ramachander

raama raama
raamaa raamaa raamaaa

रामा, रामा
रामा,रामा,रामा

Oh Rama, Oh Rama,
Oh Rama, Oh Rama . Oh Rama

jaanakiii jaanee raamaaa jaanakiii jaanee
जानकी जाने रामा 
kadhana nidhaanam naaham jaaneee
कदन निदानम् नाहम् जाने 
moksha kavaadam naaham jaaneee
मोक्ष् कवाडं नाहम् जाने 
jaanakiii jaanee raamaaa raaamaa raamaaa jaanakiii jaanee raamaaa
जानकी जाने रामा, रामा रामा, जानकी जाने रामा

Sita  knew  , Oh Rama , Sita  knew  ,
The cause  of   her sufferings  , we  do not know,
The gate   for salvation  , we do not know.
Sita knew oh Rama, oh Rama oh Rama, Sita  knew Oh Rama

vishaaadha kaale sakhaathwameva
विषादकाले सखा त्वमेव 
bhayaandha kaaree prabbaathwameva
भयान्धकारे प्रभा त्वमेव 
bhavathbi noukaa thwaumeva devaaa
भवाब्धि नौका त्वमेव देव 
bhaje bhavantham ramaabhi raamaaa
भजे भवन्तम् रामाभिरामा  
jaanaki jaane raama raamaa rama rama jaanaki jaane rama
जानकी जाने रामा, रामा रामा, जानकी जाने रामा

At the time of  our suffering  , you only  are  the friend,
The one who ends  our fear  , oh Lord  , it is only yourself
In the ocean of  SAmsara , Oh God   you are the only boat,
I   sing   about   you  , Oh Rama  of Sita
Sita knew oh Rama, oh Rama oh Rama, Sita  knew Oh Rama


dhayaasametha sudhaa niketha
दयासमेता, सुधनिकेता 
chin makharanthaa nathamuni vrinndhaa
चिन्मकरन्द्  नाथमुनिवृन्द 
aagama saara jitha samsaara
आगम सार , जित्संसार 
aaaaaaaaaaaaa aaaaaaaaaaaaaaa
bhajee bhavam tham manoobhi raamaaa
भजे भवाम् त्वम् मनोभिरामम् 

Along with mercy , he  is the store house  of nectar,
The divine  pollen on the   crowd  of devotees and sages
He is the essence  of religion  who has  won over  life
aaaaaaaaaaaaa aaaaaaaaaaaaaaa
He is the essence  of religion  who has  won over  life ,
I   sing   about   you  , Oh Rama  of  human beings
I   sing   about   you  , Oh Rama  of  human beings

शुक्रवार, 28 जनवरी 2022

ला फिर एक बार वही बादा-ओ-जाम ऐ साक़ी.../ अल्लामा इक़बाल / शबनम मजीद

https://youtu.be/oTlyDtN_dVE

ला फिर इक बार वही बादा जाम साक़ी

हाथ जाए मुझे मेरा मक़ाम साक़ी

तीन सौ साल से हैं हिन्द के मय-ख़ाने बंद

अब मुनासिब है तिरा फ़ैज़ हो आम साक़ी

मेरी मीना-ए-ग़ज़ल*में थी ज़रा सी बाक़ी

*ग़ज़ल का जाम या ग़ज़ल की शराब

शेख़ कहता है कि है ये भी हराम साक़ी

शेर मर्दों से हुआ बेश-ए-तहक़ीक़* तही**

forest of research*/ तह**

रह गए सूफ़ी मुल्ला के ग़ुलाम साक़ी

इश्क़ की तेग़-ए-जिगर-दार*उड़ा ली किस ने

heat shaped sword*

इल्म के हाथ में ख़ाली है नियाम* साक़ी

मियान*

सीना रौशन हो तो है सोज़-ए-सुख़न* ऐन-ए-हयात**

passion for poetry* / जीवन का सार, पूर्ण जीवन**

हो रौशन तो सुख़न मर्ग-ए-दवाम* साक़ी

हमेशा की मौत*

तू मिरी रात को महताब से महरूम रख

तिरे पैमाने में है माह-ए-तमाम* साक़ी

full moon*


गुरुवार, 27 जनवरी 2022

बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना.../ बेदम शाह वारसी (१८७६-१९३६) / क़व्वाल : फरीद अयाज़ एवं अबू मोहम्मद

 https://youtu.be/pjhjt0ZCjPo 

बेदम शाह वारसी 

(१८७६-१९३६), उर्दू भाषा के सूफी कवि थे, जिनका जन्म १८७६ में, भारत के 
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हुआ था। वे हज़रत वारिस अली शाह के 
शिष्य थे, इसलिए उन्हें वारसी की उपाधि मिली। उनकी मज़ार देवा शरीफ़, 
बाराबंकी, उत्तर प्रदेश में है।

फरीद अयाज़

उस्ताद गुलाम फ़रीदुद्दीन अयाज़ अल-हुसैनी कव्वाल, पाकिस्तानी कव्वाल हैं। 
फरीद अयाज़ का जन्म 1952 में हैदराबाद, भारत में हुआ था। 1956 में उनका 
परिवार पाकिस्तान के कराची शिफ्ट हो गया। उन्होंने अपने पिता उस्ताद 
मुंशी रजीउद्दीन अहमद खान कव्वाल के साथ शास्त्रीय संगीत में प्रशिक्षण शुरू 
किया। वह दिल्ली के कव्वाल बच्चन का घराना से संबंधित है। वह और उनके 
रिश्तेदार उस स्कूल ऑफ म्यूज़िक (घराना) के ध्वजवाहक हैं, जिसे शहर के नाम 
से दिल्ली घराना के नाम से भी जाना जाता है। वह हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की 
विभिन्न विधाओं जैसे ध्रुपद, ख्याल, तराना, ठुमरी और दादरा का प्रदर्शन करते हैं। 
अयाज़ अपने छोटे भाई, उस्ताद अबू मुहम्मद के साथ कव्वाल पार्टी का नेतृत्व करते  
हैं। वे पाकिस्तान में और दक्षिण एशियाई उपमहाद्वीप में सबसे अधिक मांग वाले 
क़व्वाल हैं। 
बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना
दिल में तुझे रख लूँ जल्वा-ए-जानाना
इतना तो करम करना चश्म-ए-करीमाना
जब जान लबों पर हो तुम सामने जाना
क्यूँ आँख मिलाई थी क्यूँ आग लगाई थी
अब रुख़ को छुपा बैठे कर के मुझे दीवाना
ज़ाहिद मेरे क़िस्मत में सज्दे हैं उसी दर के
छूटा है छूटेगा संग-ए-दर-ए-जानानाँ
क्या लुत्फ़ हो महशर में मैं शिकवे किए जाऊँ
वो हंस के कहे जाएँ दीवाना है दीवाना
साक़ी तेरे आते ही ये जोश है मस्ती का
शीशे पे गिरा शीशा पैमाने पे पैमाना
मा'लूम नहीं 'बेदम' मैं कौन हूँ और क्या हूँ
यूँ अपनों में अपना हूँ बेगानों मैं बेगाना