https://youtu.be/tTEDs5gdVL4
कैसर उल जाफरी (1926-2005)ने अपनी नज्मों में इश्क को
किसी तरह का अनोखा पैमाना पहनाने की कोशिश नहीं की है।
शब्दों के मायावी जाल से दूर वह दिल की बात भोले अंदाज में
बयां कर देते हैं। जाफरी की नज्मों को बड़े गजल गायकों ने
अपनी आवाजें दी है।
किसी तरह का अनोखा पैमाना पहनाने की कोशिश नहीं की है।
शब्दों के मायावी जाल से दूर वह दिल की बात भोले अंदाज में
बयां कर देते हैं। जाफरी की नज्मों को बड़े गजल गायकों ने
अपनी आवाजें दी है।
Gulshan Ara Syed was a classical singer from Pakistan.
She was trained in music by Ghulam Mohammad Khan and
Riazuddin Khan. Her ghazals were in Pushto, Baluchi, Sindhi,
Punjabi and Bengali languages.
She was trained in music by Ghulam Mohammad Khan and
Riazuddin Khan. Her ghazals were in Pushto, Baluchi, Sindhi,
Punjabi and Bengali languages.
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगेमैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगेतुम्हारे बस में अगर हो तो भूल जाओ मुझेतुम्हें भुलाने में शायद मुझे ज़माना लगेजो डूबना है तो इतने सुकून से डूबोकि आस-पास की लहरों को भी पता न लगेवो फूल जो मिरे दामन से हो गए मंसूबख़ुदा करे उन्हें बाज़ार की हवा न लगेन जाने क्या है किसी की उदास आँखों मेंवो मुँह छुपा के भी जाए तो बेवफ़ा न लगेतू इस तरह से मिरे साथ बेवफ़ाई करकि तेरे बा'द मुझे कोई बेवफ़ा न लगेतुम आँख मूँद के पी जाओ ज़िंदगी 'क़ैसर'कि एक घूँट में मुमकिन है बद-मज़ा न लगे
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