शनिवार, 12 मार्च 2022

तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे.../ शायर : क़ैसर-उल जाफ़री / गायिका : गुलशन आरा सईद

 https://youtu.be/tTEDs5gdVL4   

कैसर उल जाफरी (1926-2005)ने अपनी नज्मों में इश्क को 
किसी तरह का अनोखा पैमाना पहनाने की कोशिश नहीं की है। 
शब्दों के मायावी जाल से दूर वह दिल की बात भोले अंदाज में 
बयां कर देते हैं। जाफरी की नज्मों को बड़े गजल गायकों ने 
अपनी आवाजें दी है।
Gulshan Ara Syed was a classical singer from Pakistan
She was trained in music by Ghulam Mohammad Khan and 
Riazuddin Khan. Her ghazals were in Pushto, Baluchi, Sindhi, 
Punjabi and Bengali languages.

तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे

मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा लगे
तुम्हारे बस में अगर हो तो भूल जाओ मुझे
तुम्हें भुलाने में शायद मुझे ज़माना लगे

जो डूबना है तो इतने सुकून से डूबो

कि आस-पास की लहरों को भी पता लगे

वो फूल जो मिरे दामन से हो गए मंसूब

ख़ुदा करे उन्हें बाज़ार की हवा लगे

जाने क्या है किसी की उदास आँखों में

वो मुँह छुपा के भी जाए तो बेवफ़ा लगे

तू इस तरह से मिरे साथ बेवफ़ाई कर

कि तेरे बा'द मुझे कोई बेवफ़ा लगे

तुम आँख मूँद के पी जाओ ज़िंदगी 'क़ैसर'

कि एक घूँट में मुमकिन है बद-मज़ा लगे

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