https://youtu.be/Pp5qO6lYWZU
संत कबीर भजन
आया है तो जाएगा, तू सोच ओ अभिमानी मन,
चेत ओ अब चेत दिवस तेरो नियराना है।
चेत ओ अब चेत दिवस तेरो नियराना है।
कर से करु दान-मान, मुख से जपु राम नाम,
वाही दिन आवे काम, जाही दिन जाना है।
नदिया है अगम तेरी, सूझत नहीं आर-पार,
बूड़त हो बीच धार, अब क्या पछताना है।
हे रे ! अभिमानी, झूठी माया संसारी-गति,
मुट्ठी बाँध आया है, तो खाली हाथ जाना है।।
भजन
दुनिया दर्शन का है मेला,
अपनी करनी पार उतरनी,
गुरु होए चाहे चेला,
दुनिया दर्शन का है मेला।।
कंकरी चुनि-चुनि महल बनाया,
लोग कहें घर मेरा,
न घर मेरा न घर तेरा,
चिड़िया रैन बसेरा,
दुनिया दर्शन का है मेला।।
महल बनाया किला चुनाया,
खेलन को सब खेला,
चलने की जब बेला आई,
सब तजि चला अकेला,
दुनिया दर्शन का है मेला।।
न कुछ लेकर आया बन्दे,
न कुछ है यहां तेरा ,
कहत कबीर सुनो भाई साधो ,
संग न जाए धेला।
दुनिया दर्शन का है मेला।।
न कुछ है यहां तेरा ,
कहत कबीर सुनो भाई साधो ,
संग न जाए धेला।
दुनिया दर्शन का है मेला।।
अपनी करनी पार उतरनी,
गुरु होए चाहे चेला।
दुनिया दर्शन का है मेला।।
गुरु होए चाहे चेला।
दुनिया दर्शन का है मेला।।
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