मंगलवार, 22 मार्च 2022

या रब ग़म-ए-हिज्राँ में इतना तो किया होता.../ चराग़ हसन हसरत / गुलशन आरा सैयद

 https://youtu.be/MJa-PNFRMNM   


Chiragh Hasan Hasrat (Born 1904, PoonchKashmir) was a 
Poet and Journalist. He began composing poetry when he was still a 
student at school. He was born in Kashmir but after matriculation he 
migrated to Pakistan. Early in his career Chiragh started teaching at 
various local schools in Urdu and Persian. He wrote 16 Books. He was 
also associated with several newspapers like Insaa, Zamindar, 
Sheeraza, Shahbaz
He used different pen names including ColumbusKoocha Gard and 
Sindbaad Jahazi.

या रब ग़म-ए-हिज्राँ में इतना तो किया होता जो हाथ जिगर पर है वो दस्त-ए-दुआ होता (ग़म-ए-हिज्राँ = जुदाई के दुःख),
(दस्त-ए-दुआ = दुआ मांगने के लिए उठा हाथ)
इक इश्क़ का ग़म आफ़त और उस पे ये दिल आफ़त या ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता 
नाकाम तमन्ना दिल इस सोच में रहता है यूँ होता तो क्या होता यूँ होता तो क्या होता उम्मीद तो बँध जाती तस्कीन तो हो जाती वादा न वफ़ा करते वादा तो किया होता (तस्कीन = चैन, आराम)
ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम ने कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता

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