शुक्रवार, 26 मई 2023

युगलाष्टकम् / महाप्रभु वल्लभाचार्य कृत / स्वर : आश्विन त्रिवेदी

 https://youtu.be/DaPnVKhdoio 

कृष्णप्रेममयी राधा राधाप्रेममयो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥ (१)
भावार्थ : श्रीराधारानी, भगवान श्रीकृष्ण में रमण करती हैं 
और भगवान श्रीकृष्ण, श्रीराधारानी में रमण करते हैं, इसलिये 
मेरे जीवन का प्रत्येक-क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो। (१)
कृष्णस्य द्रविणं राधा राधायाः द्रविणं हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥ (२)
भावार्थ : भगवान श्रीकृष्ण की पूर्ण-सम्पदा श्रीराधारानी हैं और 
श्रीराधारानी का पूर्ण-धन श्रीकृष्ण हैं, इसलिये मेरे जीवन का प्रत्येक-
क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो। (२)
कृष्णप्राणमयी राधा राधाप्राणमयो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥ (३)
भावार्थ : भगवान श्रीकृष्ण के प्राण श्रीराधारानी के हृदय में बसते हैं 
और श्रीराधारानी के प्राण भगवान श्री कृष्ण के हृदय में बसते हैं , 
इसलिये मेरे जीवन का प्रत्येक-क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में 
व्यतीत हो। (३)
कृष्णद्रवामयी राधा राधाद्रवामयो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥ (४)
भावार्थ : भगवान श्रीकृष्ण के नाम से श्रीराधारानी प्रसन्न होती हैं और 
श्रीराधारानी के नाम से भगवान श्रीकृष्ण आनन्दित होते है, इसलिये मेरे 
जीवन का प्रत्येक-क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो। (४)
कृष्ण गेहे स्थिता राधा राधा गेहे स्थितो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥ (५)
भावार्थ : श्रीराधारानी भगवान श्रीकृष्ण के शरीर में रहती हैं और 
भगवान श्रीकृष्ण श्रीराधारानी के शरीर में रहते हैं, इसलिये मेरे जीवन 
का प्रत्येक-क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो। (५)
कृष्णचित्तस्थिता राधा राधाचित्स्थितो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥ (६)
भावार्थ : श्रीराधारानी के मन में भगवान श्रीकृष्ण विराजते हैं और 
भगवान श्रीकृष्ण के मन में श्रीराधारानी विराजती हैं, इसलिये मेरे 
जीवन का प्रत्येक-क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो। (६)
नीलाम्बरा धरा राधा पीताम्बरो धरो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥ (७)
भावार्थ : श्रीराधारानी नीलवर्ण के वस्त्र धारण करती हैं और भगवान 
श्रीकृष्णपीतवर्ण के वस्त्र धारण करते हैं, इसलिये मेरे जीवन का 
प्रत्येक-क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो। (७)
वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वरः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥ (८)
भावार्थ : श्रीराधारानी वृन्दावन की स्वामिनी हैं और भगवान 
श्रीकृष्ण वृन्दावन के स्वामी हैं, इसलिये मेरे जीवन का प्रत्येक-
क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो। (८)

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