https://youtu.be/Wd_qbSShl_0
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहां बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
यहां किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो
कहीं नहीं कोई सूरज धुआं धुआं है फ़ज़ा
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो
यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
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