डुग्गू-सम्यक
जन्म दिवस है डुग्गू जी का
हुए साल भर के ये आज।
चहल-पहल है, शोर-शराबा,
सजे-धजे डुग्गू महराज।।
एक साल तक कूदे-मचले
तब जाकर इनके पर निकले
कहते बात-बात पर अग्गुं
इसीलिए कहलाते डुग्गू।।
अब, धीरे-धीरे बड़े हो रहे।
कभी-कभी हैं खड़े हो रहे।
इनको नयी उड़ान मिली है।
एक नयी पहचान मिली है।।
डुग्गू की हर बात है सम्यक।
डुग्गू के दिन-रात हैं सम्यक।
खिल-खिल सम्यक, गिल-गिल सम्यक
दाँत दूध का, झिल-मिल सम्यक।।
सम्यक हँसना, सम्यक रोना।
सम्यक काजल और डिठौना।
सम्यक इनकी हर शैतानी ;
सब पर करते जादू-टोना।।
बिना बात के हँस देते हैं
बिना बात के रो लेते हैं
पुचकारो, चुप हो जाते हैं
दुद्धू पी कर सो जाते हैं।।
यही हैं डुग्गू , यही हैं सम्यक।
जो हैं डुग्गू , वही हैं सम्यक ।।
नया नाम है, नयी शान है ।
गंगाधर ही, शक्तिमान है ।।
जो हैं डुग्गू , वही हैं सम्यक ।।
नया नाम है, नयी शान है ।
गंगाधर ही, शक्तिमान है ।।
सम्यक डुग्गू , डुग्गू सम्यक।
डुग्गू-डुग्गू , सम्यक सम्यक।
सब मिल बोलो, सम्यक-सम्यक।
सम्यक-सम्यक, सम्यक-सम्यक।।
हैप्पी बर्थडे टु सम्यक !
(टिप्पणी : मेरी बेटी के छोटे बेटे आज साल भर के पूरे हुए।
अभी तक इन्हें प्यार से डुग्गू कहा जाता है। आज से इन्हें
नया नाम , 'सम्यक' मिला है। इस अवसर पर भेंट स्वरुप
यह कविता , मेरी तरफ से प्यार व आशीर्वाद के साथ।
-अरुण मिश्र )
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