गुरुवार, 7 अक्टूबर 2021

प्रथम नव-दुर्गा माता शैलपुत्री...



"अर्द्धचन्द्र शीश धरे,
शूल हस्त, वृषारूढ़ ;
वन्दन वाञ्छित लाभ हेतु,
यशस्विनि! शैलपुत्री माँ !"

(अनुवाद : अरुण मिश्र)

मूल श्लोक :
"वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्।।"

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