शुक्रवार, 8 अक्टूबर 2021

नवरात्रि की मंगलकामनाएं

"सिंह पर आरूढ़, पिण्डज, 
दैत्य दल पर अति कुपित।
विविध आयुध कर धरे,
माँ चन्द्रघण्टा इति, विश्रुत।।

हे ! तृतीया रूप, मुझको 
निज कृपा का दो प्रसाद।।" 
(अनुवाद : अरुण मिश्र)

'पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।" 
(मूल श्लोक)

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