"रकार निर्विकार निराकार ब्रह्म सारमय
मकार महातत्व प्रकृति शक्ति है समान की
रकार में है विधि, हरि, हर, सिद्धि, साध्य सब
मकार में उमा रमादि होत है कि तान की
रकार औ मकार की अपार रघुनाथ गाथ
पावत नहिं पार, शेष-शारदा बखान की
उपासना अखंड एक नाम की रहे सदा
रकार रामचंद्र हैं, मकार मातु जानकी"
https://youtu.be/yjfZMe_fwMo
ऐसो को उदार जग माहीं
गोस्वामी तुलसी दास : विनय पत्रिका
ऐसो कौ उदार जग माहीं ।
बिनु सेवा जो द्रवे दीन पर, राम सरस कोउ नाहि ॥
जो गति जोग बिराग जतन करि नहिं पावत मुनि ज्ञानी ।
सो गति देत गीध सबरी कहँ प्रभु न बहुत जिय जानी ॥
जो संपति दस सीस अरप करि रावण सिव पहँ लीन्हीं ।
सो संपदा विभीषण कहँ अति सकुच सहित हरि दीन्हीं ॥
तुलसीदास सब भांति सकल सुख जो चाहसि मन मेरो ।
तो भजु राम काम सब पूरन करहि कृपानिधि तेरो ॥
*
मकार महातत्व प्रकृति शक्ति है समान की
रकार में है विधि, हरि, हर, सिद्धि, साध्य सब
मकार में उमा रमादि होत है कि तान की
रकार औ मकार की अपार रघुनाथ गाथ
पावत नहिं पार, शेष-शारदा बखान की
उपासना अखंड एक नाम की रहे सदा
रकार रामचंद्र हैं, मकार मातु जानकी"
https://youtu.be/yjfZMe_fwMo
ऐसो को उदार जग माहीं
गोस्वामी तुलसी दास : विनय पत्रिका
ऐसो कौ उदार जग माहीं ।
बिनु सेवा जो द्रवे दीन पर, राम सरस कोउ नाहि ॥
जो गति जोग बिराग जतन करि नहिं पावत मुनि ज्ञानी ।
सो गति देत गीध सबरी कहँ प्रभु न बहुत जिय जानी ॥
जो संपति दस सीस अरप करि रावण सिव पहँ लीन्हीं ।
सो संपदा विभीषण कहँ अति सकुच सहित हरि दीन्हीं ॥
तुलसीदास सब भांति सकल सुख जो चाहसि मन मेरो ।
तो भजु राम काम सब पूरन करहि कृपानिधि तेरो ॥
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