https://youtu.be/QEKAKVEIaxs 123
माझे माहेर पंढरी...
सन्त एकनाथ (१५३३-१५९९ ई.) प्रसिद्ध मराठी सन्त जिनका जन्म
पैठण में संत भानुदास के कुल में हुआ था। इन्होंने संत ज्ञानेश्वर द्वारा प्रवृत्त
साहित्यिक तथा धार्मिक कार्य का सब प्रकार से उत्कर्ष किया। ये संत भानुदास
साहित्यिक तथा धार्मिक कार्य का सब प्रकार से उत्कर्ष किया। ये संत भानुदास
के पौत्र थे। गोस्वामी तुलसीदास के समान मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण
ऐसा विश्वास है कि कुछ महीनों के बाद ही इनके माता पिता की मृत्यु हो गई थी।
स्वामी की ब्रह्मनिष्ठा, विद्वत्ता, सदाचार और भक्ति देखकर भावुक एकनाथ
उनकी ओर आकृष्ट हुए और उनके शिष्य हो गए। एकनाथ ने अपने गुरु से
ज्ञानेश्वरी, अमृतानुभव, श्रीमद्भागवत आदि ग्रंथों का अध्ययन किया और
उनका आत्मबोध जाग्रत हुआ। गुरु की आज्ञा से ये गृहस्थ बने।
एकनाथ अपूर्व संत थे। प्रवृत्ति और निवृत्ति का ऐसा अनूठा समन्वय
कदाचित् ही किसी अन्य संत में दिखाई देता है। आज से ४०० वर्ष पूर्व
इन्होंने मानवता की उदार भावना से प्रेरित होकर अछूतोद्धार का प्रयत्न
किया। ये जितने ऊँचे संत थे उतने ही ऊँचे कवि भी थे। इनकी टक्कर का
बहुमुखी सर्जनशील प्रतिभा का कवि महाराष्ट्र में इनसे पहले पैदा नहीं
हुआ था। महाराष्ट्र की अत्यंत विषम अवस्था में इनको साहित्यसृष्टि
करनी पड़ी। मराठी भाषा, उर्दू-फारसी से दब गई थी। दूसरी ओर संस्कृत
के पंडित देशभाषा मराठी का विरोध करते थे। इन्होंने मराठी के माध्यम
से ही जनता को जाग्रत करने का बीड़ा उठाया।
एकनाथ अपूर्व संत थे। प्रवृत्ति और निवृत्ति का ऐसा अनूठा समन्वय
कदाचित् ही किसी अन्य संत में दिखाई देता है। आज से ४०० वर्ष पूर्व
इन्होंने मानवता की उदार भावना से प्रेरित होकर अछूतोद्धार का प्रयत्न
किया। ये जितने ऊँचे संत थे उतने ही ऊँचे कवि भी थे। इनकी टक्कर का
बहुमुखी सर्जनशील प्रतिभा का कवि महाराष्ट्र में इनसे पहले पैदा नहीं
हुआ था। महाराष्ट्र की अत्यंत विषम अवस्था में इनको साहित्यसृष्टि
करनी पड़ी। मराठी भाषा, उर्दू-फारसी से दब गई थी। दूसरी ओर संस्कृत
के पंडित देशभाषा मराठी का विरोध करते थे। इन्होंने मराठी के माध्यम
से ही जनता को जाग्रत करने का बीड़ा उठाया।
माझे माहेर पंढरी । आहे भीवरेच्या तीरी ॥१॥
बाप आणि आई । माझी विठ्ठल रखुमाई ॥२॥
पुंडलीक राहे बंधू । त्याची ख्याती काय सांगू ॥३॥
माझी बहीण चंद्रभागा । करितसे पाप भंगा ॥४॥
एका जनार्दनी शरण । करी माहेरची आठवण ॥५॥
ENGLISH TRANSLATION
Beautiful song, brilliant singer. Here's the meaning:
माझे माहेर पंढरी । आहे भीवरेच्या तीरी ॥१॥
PanDhari (panDharaPura) is my mother’s house (Maihar/Mayaka) which is on the banks of BheemA (bheevaraa) river.
बाप आणि आई । माझी विठ्ठल रखुमाई ॥२॥
father and mother, is my Vitthala and Rakhumai (Rukmini)
पुंडलीक राहे बंधू । त्याची ख्याती काय सांगू ॥३॥
एका जनार्दनी शरण । करी माहेरची आठवण ॥५॥
ekA (which also means ‘one’) –ekanatha is devoted to/ surrendered to JanArdana (JanArdana Swamy was the guru of Saint Ekanatha, Guru is seen in very high respect in India and thus poet remembers his Guru in each of his compositions), remembering maaher -the mother’s home, PanDharapura.
Shameema Akhter
Hailing from a remote village of Jammu and Kashmir’s Bandipora district, the 26-yrs-old Shameema Akhter via her talent and exuberance has revived the love of music among millions of people and is emerging as a prominent Sufi singer. Shameema who has dozens of songs to her credit via her singing is on way to unite people with their roots through music under which she has now decided to release at least one song every month for her fans based in Kashmiris and outside the valley.