जय राम सोभा धाम... / श्री रामचरित मानस - लंका काण्ड / गोस्वामी तुलसी दास रचित / स्वर : जगजीत सिंह एवं सुरेश वाडेकर
https://youtu.be/tLtiGV2L2gw
रावण वध उपरान्त देवराज इंद्र कृत श्री राम स्तुति
दोहा
अनुज जानकी सहित प्रभु कुसल कोसलाधीस।
सोभा देखि हरषि मन अस्तुति कर सुर ईस ॥ ११२ ॥
छंद
जय राम सोभा धाम। दायक प्रनत बिश्राम ॥
धृत त्रोन बर सर चाप। भुजदंड प्रबल प्रताप ॥ १ ॥
जय दूषनारि खरारि। मर्दन निसाचर धारि ॥
यह दुष्ट मारेउ नाथ। भए देव सकल सनाथ ॥ २ ॥
जय हरन धरनी भार। महिमा उदार अपार ॥
जय रावनारि कृपाल। किए जातुधान बिहाल ॥ ३ ॥
लंकेस अति बल गर्ब। किए बस्य सुर गंधर्ब ॥
मुनि सिद्ध नर खग नाग। हठि पंथ सब कें लाग ॥ ४ ॥
परद्रोह रत अति दुष्ट। पायो सो फलु पापिष्ट ॥
अब सुनहु दीन दयाल। राजीव नयन बिसाल ॥ ५ ॥
मोहि रहा अति अभिमान। नहिं कोउ मोहि समान ॥
अब देखि प्रभु पद कंज। गत मान प्रद दुख पुंज ॥ ६ ॥
कोउ ब्रह्म निर्गुन ध्याव। अब्यक्त जेहि श्रुति गाव ॥
मोहि भाव कोसल भूप। श्रीराम सगुन सरूप ॥ ७ ॥
बैदेहि अनुज समेत। मम हृदयँ करहु निकेत ॥
मोहि जानिए निज दास। दे भक्ति रमानिवास ॥ ८ ॥
दे भक्ति रमानिवास त्रास हरन सरन सुखदायकं।
सुख धाम राम नमामि काम अनेक छबि रघुनायकं ॥
सुर बृंद रंजन द्वंद भंजन मनुज तनु अतुलितबलं।
ब्रह्मादि संकर सेब्य राम नमामि करुना कोमलं ॥
दोहा
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