बुधवार, 9 जून 2021

काली काली जुल्फों के फंदे ना डालो.../ उस्ताद नुसरत फ़तेह अली ख़ान की कम्पोजीशन / गायन : डॉ रिदा इरफ़ान ख़ान

https://youtu.be/llLeQkPLwNk  

Dr. Rida Irfan Khan From Pakistan says singing is my
passion and music is my hope; just want to make you all happy,
relax and positive!

Dr Rida Irfan Khan, a young doctor, identified as a House Officer 
attached with CMH Multan has been sharing many covers and 
original songs on her YouTube and Instagram handles.
As the Covid-19 pandemic continues to rage across the world, 
many doctors are now turning to music to offer the healing touch. 
A case in point is a young physician from Pakistan whose soulful 
rendition of a famous ghazal by Nusrat Fateh Ali Khan has been 
soothing the nerves of people online.
The video of Dr Rida Irfan Khan from across the border singing an 
unplugged version of ‘Kali Kali Zulfon Ke Phande Na’ has been winning 
the internet. As the clip went viral, Dr Khan’s profile saw a huge surge 
in the number of followers. She, in turn, expressed her joy, thanking 
everyone for their love and support.

मूलतः उस्ताद नुसरत फ़तेह अली ख़ान साहब का कम्पोज़ किया और गाया हुआ।

काली काली जुल्फों के फंदे ना डालो 

काली काली जुल्फों के फंदे ना डालो 
हमें जिंदा रहने दो ऐ हुस्न वालों  

आप इस तरह तो होश उठाया ना कीजिए 
यूं बन संवर के सामने आया ना कीजिए 

काली काली जुल्फों के फंदे ना डालो 
हमें जिंदा रहने दो ऐ हुस्न वालों  

ना छेड़ो हमें हम सताए हुए हैं  
बहुत जख्म सीने पे खाए हुए हैं 
सितमगर हो तुम खूब पहचानते हैं  
तुम्हारी अदाओ को हम जानते हैं  
दगा बाज़ हो तुम सितम ढाने वाले 
फरेबे मोहब्बत में उलझाने वाले 
ये रंगी कहानी तुम्ही को मुबारक 
तुम्हारी जवानी तुम्ही को मुबारक 
हमारी तरफ से निगाहें हटा लो 
हमें जिंदा रहने दो ऐ हुस्न वालों  

काली काली जुल्फों के फंदे ना डालो 
हमें जिंदा रहने दो ऐ हुस्न वालों  

मस्त आँखों की बात चलती है 
मैयकशी करवटें बदलती है 
बन संवर कर वो जब निकलते हैं  
दिलकशी साथ साथ चलती है 
हार जाते हैं जीतने वाले 
वो नज़र ऐसी चाल चलती है 
जब हटाते हैं रुख से जुल्फों को 
चाँद हँसता है रात ढलती है 
बादाकश जाम तोड़ देते हैं  
जब नज़र से शराब ढलती है 
क्या क़यामत है उनकी अंगड़ाई 
खिंच के गोया कमान चलती है 
यूँ हसीनों की ज़ुल्फ़ लहराए 
जैसे नागन कई मचलती है 
 
काली काली जुल्फों के फंदे ना डालो 
हमें जिंदा रहने दो ऐ हुस्न वालों  

सम्भालो ज़रा अपना आँचल गुलाबी 
दिखाओ ना हँस-हँस के आँखें  शराबी 
सुलूक इनका दुनिया में अच्छा नहीं है 
हसीनो पे हमको भरोसा नहीं है 
उठती हैं नज़रे तो गिरती है बिजली 
अदा जो भी निकली क़यामत ही निकली 
जहां तुमने चेहरे से आँचल हटाया 
वहीं एहले दिल को तमाशा बनाया 
खुदा के लिए हम पे डोरे ना डालो 
हमें जिंदा रहने दो ऐ हुस्न वालों  

काली काली जुल्फों के फंदे ना डालो 
हमें जिंदा रहने दो ऐ हुस्न वालों  

सदा वार करते हो तेग़े जफ़ा का 
बहाते हो तुम खून एहले वफ़ा का 
ये नागन सी जुल्फें ये ज़हरीली नज़रें 
वो पानी ना मांगे ये जिसको भी डस लें  
वो लुट जाए जो तुमसे दिल को लगाए 
फिरे हसरतों का जनाजा उठाए 
है मालूम हमको तुम्हारी हकीकत 
मुहब्बत के परदे में करते हो नफरत 
कही और जाके अदाए उछालो 
हमें जिंदा रहने दो ऐ हुस्न वालो 

काली काली जुल्फों के फंदे ना डालो 
हमें जिंदा रहने दो ऐ हुस्न वालो 

दीवाना मेरा दिल है दीवाने को क्या कहिए 
ज़ंजीर में जुल्फों की फँस जाने को क्या कहिए 

काली काली जुल्फों के फंदे ना डालो 
हमें जिंदा रहने दो ऐ हुस्न वालों  

ये झूटी नुमाइश ये झूटी बनावट 
फरेबे नज़र है नज़र की लगावट 
ये सन्दल से गेसू ये आरिज़ गुलाबी 
ज़माने में लायेंगे इक दिन खराबी 
फ़ना हमको करदे ना ये मुस्कुराना 
अदा काफिराना चलन जालिमाना 
दिखाओ ना ये इशवा-ओ-नाज़ हमको 
सिखाओ ना उल्फत के अंदाज हमको 
किसी और पर ज़ुल्फ़ का जाल डालो 
हमें जिंदा रहने दो ऐ हुस्न वालों  

काली काली जुल्फों के फंदे ना डालो 
हमें जिंदा रहने दो ऐ हुस्न वालों 

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