https://youtu.be/J5PNhvkGx14
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है
बा-हज़ाराँ इज़्तिराब ओ सद-हज़ाराँ इश्तियाक़
तुझ से वो पहले-पहल दिल का लगाना याद है
बार बार उठना उसी जानिब निगाह-ए-शौक़ का
और तिरा ग़ुर्फ़े से वो आँखें लड़ाना याद है
तुझ से कुछ मिलते ही वो बेबाक हो जाना मिरा
और तिरा दाँतों में वो उँगली दबाना याद है
खींच लेना वो मिरा पर्दे का कोना दफ़अ'तन
और दुपट्टे से तिरा वो मुँह छुपाना याद है
जान कर सोता तुझे वो क़स्द-ए-पा-बोसी मिरा
और तिरा ठुकरा के सर वो मुस्कुराना याद है
तुझ को जब तन्हा कभी पाना तो अज़-राह-ए-लिहाज़
हाल-ए-दिल बातों ही बातों में जताना याद है
जब सिवा मेरे तुम्हारा कोई दीवाना न था
सच कहो कुछ तुम को भी वो कार-ख़ाना याद है
ग़ैर की नज़रों से बच कर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़
वो तिरा चोरी-छुपे रातों को आना याद है
आ गया गर वस्ल की शब भी कहीं ज़िक्र-ए-फ़िराक़
वो तिरा रो रो के मुझ को भी रुलाना याद है
दोपहर की धूप में मेरे बुलाने के लिए
वो तिरा कोठे पे नंगे पाँव आना याद है
आज तक नज़रों में है वो सोहबत-ए-राज़-ओ-नियाज़
अपना जाना याद है तेरा बुलाना याद है
मीठी मीठी छेड़ कर बातें निराली प्यार की
ज़िक्र दुश्मन का वो बातों में उड़ाना याद है
देखना मुझ को जो बरगश्ता तो सौ सौ नाज़ से
जब मना लेना तो फिर ख़ुद रूठ जाना याद है
चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह
मुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
शौक़ में मेहंदी के वो बे-दस्त-ओ-पा होना तिरा
और मिरा वो छेड़ना वो गुदगुदाना याद है
बावजूद-ए-इद्दिया-ए-इत्तिक़ा 'हसरत' मुझे
आज तक अहद-ए-हवस का वो फ़साना याद है
शब्दार्थ :
बा-हज़ारां इज़्तिराब-ओ-सद-हज़ारां इश्तियाक़ - हज़ारों बेचैनियों और सौ हज़ार लालसाओं के साथ
जानिब - ओर / निग़ाह-ए-शौक़ - प्रेम की दृष्टि / गुरफ़े - झरोखे / बेबाक - धृष्ट, ग़ुस्ताख़
दफ़अ'तन - अचानक / क़स्द-ए-पा-बोसी - चरण चुम्बन की कामना
अज़-राह-ए-लिहाज़ - सहृदयता के कारण / वस्ल- मिलन / ज़िक्र-ए-फ़िराक़ - विछोह का ज़िक्र
सोहबत-ए-राज़-ओ-नियाज़ - चोरी-छिपे सम्बन्ध / बरगश्ता - विमुख / नाज़ - हाव-भाव
बे-दश्त-ओ-पा - असहाय (बिना हाथ पर के) /
बावजूद-ए-इद्दिया-ए-इत्तिक़ा - सावधानी के दावे के बावजूद / अहद-ए-हवस - वासना के कालखण्ड
जानिब - ओर / निग़ाह-ए-शौक़ - प्रेम की दृष्टि / गुरफ़े - झरोखे / बेबाक - धृष्ट, ग़ुस्ताख़
दफ़अ'तन - अचानक / क़स्द-ए-पा-बोसी - चरण चुम्बन की कामना
अज़-राह-ए-लिहाज़ - सहृदयता के कारण / वस्ल- मिलन / ज़िक्र-ए-फ़िराक़ - विछोह का ज़िक्र
सोहबत-ए-राज़-ओ-नियाज़ - चोरी-छिपे सम्बन्ध / बरगश्ता - विमुख / नाज़ - हाव-भाव
बे-दश्त-ओ-पा - असहाय (बिना हाथ पर के) /
बावजूद-ए-इद्दिया-ए-इत्तिक़ा - सावधानी के दावे के बावजूद / अहद-ए-हवस - वासना के कालखण्ड
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