मंगलवार, 8 जून 2021

या पंढरीचे सुख पाहतां डोळां.../ संत एकनाथ (१५३३-१५९९) / किशोरी आमोणकर (१९३१-२०१७)

 https://youtu.be/iK4Yt-OGH6k  

रचना : संत एकनाथ
संगीत : किशोरी आमोणकर
गायिका : किशोरी आमोणकर

संत एकनाथ

एकनाथ अपूर्व संत थे। प्रवृत्ति और निवृत्ति का ऐसा अनूठा समन्वय कदाचित् ही 
किसी अन्य संत में दिखाई देता है। आज से ४०० वर्ष पूर्व इन्होंने मानवता की उदार 
भावना से प्रेरित होकर अछूतोद्धार का प्रयत्न किया। ये जितने ऊँचे संत थे उतने ही 
ऊँचे कवि भी थे। इनकी टक्कर का बहुमुखी सर्जनशील प्रतिभा का कवि महाराष्ट्र में 
इनसे पहले पैदा नहीं हुआ था। महाराष्ट्र की अत्यंत विषम अवस्था में इनको 
साहित्यसृष्टि करनी पड़ी। मराठी भाषा, उर्दू-फारसी से दब गई थी। दूसरी ओर 
संस्कृत के पंडित देशभाषा मराठी का विरोध करते थे। इन्होंने मराठी के माध्यम 
से ही जनता को जाग्रत करने का बीड़ा उठाया।

किशोरी आमोनकर
किशोरी आमोनकर (जन्म: १० अप्रैल, १९३१) (मृत्यु :३ अप्रेल, २०१७ - ८४ वर्ष) 
हिंदुस्तानी संगीत की विख्यात गायिका थीं जिनका सम्बन्ध अतरौली जयपुर 
घराने से हैं। इनकी माता श्रीमती मोगुबाई कुर्डीकर भी इसी घराने की मशहूर 
शास्त्रीय गायिका थीं।। इनको पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है।

उभा तो जिव्हाळा योगीयांचा ॥१॥

म्हणोनियां मन वेधलें चरणीं ।
आणिक त्यागुनी बुडी दिली ॥२॥ 

जनार्दनाचा एका धांवे लोटांगणीं । 
करी वोवाळणी शरीराची ॥३॥

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें