मंगलवार, 10 अगस्त 2021

नैहरवा हम का न भावे.../ कबीर / स्वर : सन्दीप नारायण

https://youtu.be/pbo1QvAhneM   

नैहरवा हम का न भावे...
साई कि नगरी ...परम अति सुन्दर,
जहाँ कोई जाए ना आवे
चाँद सुरज जहाँ, पवन न पानी,
कौ संदेस पहुँचावै
दरद यह... साई को सुनावै
आगे चालौ पंथ नहीं सूझे,
पीछे दोष लगावै
केहि बिधि ससुरे जाऊँ मोरी सजनी,
बिरहा जोर जरावे
विषै रस नाच नचावे
बिन सतगुरु आपनों नहिं कोई,
जो यह राह बतावे
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
सपने में प्रीतम आवे
तपन यह जिया की बुझावे
नैहरवा...

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