बुधवार, 22 अप्रैल 2020

तेरे इश्क़ की इन्तिहा चाहता हूँ... / अल्लामा इक़बाल

https://youtu.be/jGSORWMoPyQ
तेरे इश्क़ की इन्तिहा चाहता हूँ
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ

ये ज़न्नत मुबारक़ रहे ज़ाहिदों को
कि मैं आपका सामना चाहता हूँ

कोई दम का मेहमाँ हूँ ऐ अह्ले-महफ़िल
चराग़े - सहर हूँ बुझा चाहता हूँ

भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी
बड़ा बे - अदब हूँ सज़ा चाहता हूँ

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