रविवार, 10 जुलाई 2022

भींजत कुंजन तें दोऊ आवत.../ सूरदास

 https://youtu.be/S46O6iEYtMo 

भींजत कुंजन तें दोऊ आवत ।
ज्यों ज्यों बूंद परत चुनरी पर,  त्यों  त्यों हरि उर लावत ॥ 
जिहिं तिहिं मोर कोकिला बोलत, पवन तेज घन धावत।
मंद मंद कर  मुरली  मधुर सुर, राग मलार ही गावत ॥ 
अति रिम झिम फुहीं  मेघन की,  द्रुम तर बूंद बचावत ।
'सूरदास' प्रभु रीझि परसपर,  त्यों त्यों रूचि उपजावत ॥

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