रविवार, 10 मार्च 2024

नैनन में पिचकारी दई.../ होली रसिया / रचना : शालिग्राम जी / प्रस्तुति : परम पूज्य आचार्य श्री मृदुल कृष्ण जी

 https://youtu.be/hl9lDAEGdSI  

नैननि में पिचकारी दई मोहि गारी दई होरी खेली न जाय ।।

क्यों रे लंगर लंगराई मोते कीनी, केसर कीच कपोलन दीनी।। लिये गुलाल ठाड़ो ठाड़ो मुसकाय ।। होरी खेली न जाय ।।

नेक न कान करत काऊ की, आंख बचावै बलदाऊ की। पनघट सों घर लो बतराय। होरी खेली न जाय ।।

औचक कुचन कुमकुमा मारै, रंग सुरंग सीस पे ढारे। यह ऊधम सुन सास रिसाय। होरी खेली न जाय ।।

होरी के दिनन मोसों दूनो-दूनो अटके,
शालिग्राम कौन याहे बरजै।
अंग चुपट हंसि हा हा खाय।।
होरी खेली न जाय ।।

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