शुक्रवार, 29 मार्च 2024

मैं गीत बेचकर घर आया.../ भारत भूषण

https://youtu.be/XYhXR7Hl3h0  

भारत भूषण (८ जुलाई १९२९ - १७ दिसम्बर २०११) हिन्दी के कवि एवं सुकुमार गीतकार थे।
भारत भूषण का जन्म उत्तरप्रदेश के मेरठ में हुआ था। इन्होंने हिन्दी में स्नातकोत्तर शिक्षा 
अर्जित की और प्राध्यापन को जीविकावृत्ति के रूप में अपनाया। एक शिक्षक के तौर पर 
कैरियर की शुरुआत करने वाले भारत भूषण बाद में काव्य की दुनिया में आए और छा गए। 
उनकी सैकडों कविताओं व गीतों में सबसे चर्चित 'राम की जलसमाधि' रही। उन्होंने तीन काव्य 
संग्रह लिखे। पहला सागर के सीप वर्ष 1958 में, दूसरा ये असंगति वर्ष 1993 में और तीसरा 
मेरे चुनिंदा गीत वर्ष 2008 में प्रकाशित हुआ। वर्ष 1946 से मंच से जुडने वाले भारत भूषण 
मृत्यु से कुछ महीनों पूर्व तक मंच से गीतों की रसधार बहाते रहे। उन्होंने महादेवी वर्मा
रामधारी सिंह 'दिनकर' जैसे कवि-साहित्यकारों के साथ भी मंच साझा किया। दिल्ली में 
२७ फ़रवरी २०११ को आयोजित कवि सम्मेलन में उन्होंने अंतिम बार भाग लिया था।

मैं गीत बेचकर घर आया
सीमेंट ईंट लोहा लाया
कवि-मन माया ने भरमाया
हे ईश्वर मुझे क्षमा करना !

जनमा था आँसू गाने को
खोया झूठी मुसकानों में
भीतर का सुख खोजता फिरा
बाहर से सजी दुकानों में
मैं अश्रु बेचकर घर आया
प्लास्टिक के गुलदस्ते लाया
अपनी आत्मा को बहकाया
हे ईश्वर मुझे क्षमा करना !

शब्दों-शब्दों सौन्दर्य गढ़ा
नगरों-नगरों नीलाम किया
संतों की सांगत छोड़ किसी
वेश्या के घर विश्राम किया
मैं प्यार बेचकर घर आया
चुटकी-भर सुविधाएँ लाया
क्या करना था क्या कर आया
हे ईश्वर मुझे क्षमा करना!

सारे दागों को ढके रहा
छंदों की शिल्पित चादर से
गोरे कागज़ काले करता
टेढ़े-मेढ़े हस्ताक्षर से
मैं शर्म बेचकर घर आया
गहरे रंग का चश्मा लाया
दर्पण पर परदा लटकाया
हे ईश्वर मुझे क्षमा करना !

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