बुधवार, 6 मई 2020

तेरी मिट्टी / मनोज मुन्तशिर / सिमरन कौर

https://youtu.be/mj5K3b31b4E
गीत : मनोज मुन्तशिर
स्वर : सिमरन कौर
संगीत : जयन्त दोराइबुरु तेरी मिट्टी / मनोज मुन्तशिर / सिमरन कौर
तलवारों पे सर वार दिये अंगारों में जिस्म जलाया है तब जा के कहीं हमने सर पे ये केसरी रंग सजाया है ऐ मेरी ज़मीं, अफ़सोस नही जो तेरे लिये १०० दर्द सहे महफ़ूज़ रहे तेरी आन सदा, चाहे जान मेरी ये रहे ना रहे ऐ मेरी ज़मीं, महबूब मेरी मेरी नस-नस में तेरा इश्क़ बहे "फीका ना पड़े कभी रंग तेरा, " जिस्मों से निकल के खून कहे तेरी मिट्टी में मिल जावां
गुल बनके मैं खिल जावां
इतनी सी है दिल की आरज़ू तेरी नदियों में बह जावां तेरे खेतों में लहरावां
इतनी सी है दिल की आरज़ू ओ हीर मेरी, तू हँसती रहे तेरी आँख घड़ी भर नम ना हो मैं मरता था जिस मुखड़े पे कभी उसका उजाला कम ना हो ओ माई मेरी, क्या फ़िक्र तुझे? क्यूँ आँख से दरिया बहता है? तू कहती थी, तेरा चाँद हूँ मैं और चाँद हमेशा रहता है तेरी मिट्टी में मिल जावां गुल बनके मैं खिल जावां इतनी सी है दिल की आरज़ू तेरी नदियों में बह जावां
तेरी फ़सलों में लहरावां
इतनी सी है दिल की आरज़ू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें