रविवार, 31 मई 2020

यूँही कोई मिल गया था सरे राह चलते चलते.../ कैफ़ी आज़मी / विदेशी स्वर - ताहिर फरीदी क़व्वाल एवं भैरवी देवी

https://youtu.be/uCl_KoUHtgQ
Classic love song originally sung by Lata Mangeshkar in the 1972 film
Pakeezah. Performed here live in Australia by Sufi Soul Sangeet.

Vocals: Tahir Faridi Qawwal and Bhairavi Devi

Tahir Faridi Qawwal (formerly Geoffrey Lyons), originally from 
Nova Scotiahas studied music from some of the greatest qawwali 
masters in Pakistan and India over many years.

चलते चलते, चलते चलते
यूँही कोई मिल गया था, यूँही कोई मिल गया था
सरे राह चलते चलते, सरे राह चलते चलते
वहीं थमके रह गई है, वहीं थमके रह गई है 
मेरी रात ढलते ढलते, मेरी रात ढलते ढलते
जो कही गई है मुझसे, जो कही गई है मुझसे
वो ज़माना कह रहा है, वो ज़माना कह रहा है
के फ़साना
के फ़साना बन गई है, के फ़साना बन गई है
मेरी बात टलते टलते, मेरी बात टलते टलते
यूँही कोई मिल गया था, यूँही कोई मिल गया था
सरे राह चलते चलते, सर-ए-राह चलते चलते ...
शब-ए-इंतज़ार आखिर, शब-ए-इंतज़ार आखिर
कभी होगी मुक़्तसर भी, कभी होगी मुक़्तसर भी
ये चिराग़
ये चिराग़ बुझ रहे हैं, ये चिराग़ बुझ रहे हैं
मेरे साथ जलते जलते, मेरे साथ जलते जलते
ये चिराग़ बुझ रहे हैं, ये चिराग़ बुझ रहे हैं - (३)
मेरे साथ जलते जलते, मेरे साथ जलते जलते
यूँही कोई मिल गया था, यूँही कोई मिल गया था
सर-ए-राह चलते चलते, सर-ए-राह चलते चलते ...

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