https://youtu.be/jGSORWMoPyQ
तेरे इश्क़ की इन्तिहा चाहता हूँ
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
ये ज़न्नत मुबारक़ रहे ज़ाहिदों को
कि मैं आपका सामना चाहता हूँ
कोई दम का मेहमाँ हूँ ऐ अह्ले-महफ़िल
चराग़े - सहर हूँ बुझा चाहता हूँ
भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
ये ज़न्नत मुबारक़ रहे ज़ाहिदों को
कि मैं आपका सामना चाहता हूँ
कोई दम का मेहमाँ हूँ ऐ अह्ले-महफ़िल
चराग़े - सहर हूँ बुझा चाहता हूँ
भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी
बड़ा बे - अदब हूँ सज़ा चाहता हूँ
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