https://youtu.be/PCMKDIfQ0g0
गीत एवं संगीत : कविगुरु रविन्द्र नाथ टैगोर
स्वर : स्राबोनी सेन
नृत्य संयोजन एवं नृत्य : अमृता सरकार
हिंदी भावानुवाद : अरुण मिश्र
आवो हे श्यामल ! आवो हे सुन्दर !
लाओ निज संग-सुधा; तापहर, तृषाहर।
तक रही आकाश, धरती विरहिणी,
व्यथित उर व्याकुल बिछाए।
तमाल कुञ्जों की सजल छाया घिरे पथ में,
जग रही नयनों में करुणा रागिनी।
गूंथ रक्खी हैं बकुल कलियाँ,
मिलन की वंशी बजाती निज अजिर में।
लाओ तुम साथ अपनी मन्दिरा;
बजे चञ्चल नृत्य में फिर छन्द-लय।
बजे कंकण, बजे किंकिणि, बजे नूपुर
और हों मञ्जीर झंकृत रुनक-झुन।।
LYRICS :
स्वर : स्राबोनी सेन
नृत्य संयोजन एवं नृत्य : अमृता सरकार
हिंदी भावानुवाद : अरुण मिश्र
आवो हे श्यामल ! आवो हे सुन्दर !
लाओ निज संग-सुधा; तापहर, तृषाहर।
तक रही आकाश, धरती विरहिणी,
व्यथित उर व्याकुल बिछाए।
तमाल कुञ्जों की सजल छाया घिरे पथ में,
जग रही नयनों में करुणा रागिनी।
गूंथ रक्खी हैं बकुल कलियाँ,
मिलन की वंशी बजाती निज अजिर में।
लाओ तुम साथ अपनी मन्दिरा;
बजे चञ्चल नृत्य में फिर छन्द-लय।
बजे कंकण, बजे किंकिणि, बजे नूपुर
और हों मञ्जीर झंकृत रुनक-झुन।।
LYRICS :
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