शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020

आओ हे श्यामल ! आओ हे सुन्दर !..../ गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविता का भावानुवाद

हिंदी भावानुवाद : अरुण मिश्र 

आओ हे श्यामल ! आओ हे सुन्दर !
लाओ निज संग-सुधा; तापहर, तृषाहर। 

तक रही आकाश, धरती विरहिणी,
व्यथित उर व्याकुल बिछाए। 

तमाल कुञ्जों की सजल छाया घिरे पथ में,
जग रही नयनों में करुणा रागिनी।

गूंथ रक्खी हैं बकुल कलियाँ,
मिलन की वंशी बजाती निज अजिर में। 

लाओ तुम साथ अपनी मन्दिरा;
बजे चञ्चल नृत्य में फिर छन्द-लय। 

बजे कंकण, बजे किंकिणि, बजे नूपुर 
और हों मञ्जीर झंकृत रुनक-झुन।।

LYRICS : 

Esho shyamolo sundaro,

Aano tabo tapohora trishahora songhosudha 

Birohini chahiya aache aakashe 

Se je byathito hridoy aache bichaye

                                Tamalkunjopothe sajol chayate

                                Nayone jagiche karuno ragini 

Bakulmukul rekheche ganthia, 

Bajiche aangone milanobansori

                              Aano sathe tomaro mondira

                             Chancholo nrittero bajibe chonde se

                             Bajibe konkano bajibe kingkini,

                             Jhonkaribe monjiro runo runo 


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