मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

महाप्रभु श्रीवल्लभाचार्य रचित कृष्णाष्टकम् / स्वर : माधवी मधुकर झा

 https://youtu.be/35Ldg1OyT1k   
महाप्रभु श्रीवल्लभाचार्य रचित कृष्णाष्टकम्
कृष्णाष्टकं में श्रीराधारानी और श्रीकृष्ण के सनातन प्रेम का 
मर्मस्पर्शी वर्णन महाप्रभु श्रीवल्लभाचार्य जी द्वारा किया गया है। 
तात्त्विक दृष्टि से एक होते हुए भी श्रीराधारानी और श्रीकृष्ण भक्तों 
के सुख हेतु प्रेम लीला करने के लिए जैसे दो हो जाते हैं। श्रीकृष्ण को 
शीघ्र प्रसन्न करने के लिए श्रीराधारानी का और श्रीराधारानी को शीघ्र 
प्रसन्न करने के लिए श्रीकृष्ण का भजन करना चाहिए क्योंकि दोनों 
ही दूसरे का ज्यादा ध्यान रखते हैं। मनुष्य जीवन का एकमात्र उद्देश्य 
इनके चरणकमलों की भक्ति प्राप्त करना ही है और इसके लिए अनन्य 
प्रेम के अतिरिक्त कोई मार्ग नहीं है। कृष्णाष्टकं को युगलाष्टकं भी कहा 
जाता है क्योंकि इसके प्रत्येक पद में श्रीकृष्ण और श्रीराधारानी दोनों का ही 
वर्णन किया गया है।

●कृष्णप्रेममयी राधा
राधाप्रेममयो हरिः ।
जीवनेन धने नित्यं
राधाकृष्णगतिर्मम ॥ १ ॥

~श्रीराधारानी श्रीकृष्ण प्रेम से ओत प्रोत हैं और श्रीकृष्ण 
श्रीराधारानी के प्रेम से । जीवन के नित्य धन स्वरुप 
श्रीराधाकृष्ण मेरा आश्रय हों ॥१॥

●कृष्णस्य द्रविणं राधा
राधायाः द्रविणं हरिः ।
जीवनेन धने नित्यं
राधाकृष्णगतिर्मम ॥ २ ॥

~श्रीकृष्ण का धन श्रीराधारानी जी हैं और श्रीराधारानी जी 
का धन श्रीकृष्ण । जीवन के नित्य धन स्वरुप श्रीराधाकृष्ण 
मेरा आश्रय हों ॥२॥

●कृष्णप्राणमयी राधा
राधाप्राणमयो हरिः ।
जीवनेन धने नित्यं
राधाकृष्णगतिर्मम ॥ ३ ॥

~श्रीकृष्ण के प्राण श्रीराधारानी जी में बसते हैं और श्रीराधारानी 
जी के प्राण श्रीकृष्ण में। जीवन के नित्य धन स्वरुप श्रीराधाकृष्ण 
मेरा आश्रय हों ॥३॥

●कृष्णद्रवामयी राधा
राधा द्रवामयो हरिः ।
जीवनेन धने नित्यं
राधाकृष्णगतिर्मम ॥ ४ ॥
~श्रीकृष्ण के नाम से श्रीराधारानी जी प्रसन्न होती हैं और श्रीराधारानी 
जी के नाम से श्रीकृष्ण । जीवन के नित्य धन स्वरुप श्रीराधाकृष्ण मेरा 
आश्रय हों ॥४॥

• कृष्ण गेहे स्थिता राधा
राधा गेहे स्थितो हरिः ।
जीवनेन धने नित्यं
राधाकृष्णगतिर्मम ॥ ५ ॥

~(मन से) श्रीराधारानी जी श्रीकृष्ण के घर में स्थित हैं और श्रीकृष्ण 
श्रीराधारानी जी के घर में । जीवन के नित्य धन स्वरुप श्रीराधाकृष्ण 
मेरा आश्रय हों ॥५॥

• कृष्णचित्तस्थिता राधा
राधाचित्स्थितो हरिः ।
जीवनेन धने नित्यं
राधाकृष्णगतिर्मम ॥ ६ ॥

~श्रीराधारानी जी के मन में श्रीकृष्ण स्थित हैं और श्रीकृष्ण के मन में 
श्रीराधारानी जी । जीवन के नित्य धन स्वरुप श्रीराधाकृष्ण मेरा आश्रय 
हों ॥६॥

• नीलाम्बरा धरा राधा
पीताम्बरो धरो हरिः ।
जीवनेन धने नित्यं
राधाकृष्णगतिर्मम ॥ ७ ॥

~श्रीराधारानी जी नीले वस्त्र धारण करती हैं और श्रीकृष्ण पीले । जीवन 
के नित्य धन स्वरुप श्रीराधाकृष्ण मेरा आश्रय हों ॥७॥

• वृन्दावनेश्वरी राधा
कृष्णो वृन्दावनेश्वरः ।
जीवनेन धने नित्यं
राधाकृष्णगतिर्मम ॥ ८ ॥

~वृन्दावन की देवी हैं श्रीराधारानी जी और वृन्दावन के देवता हैं श्रीकृष्ण। 
जीवन के नित्य धन स्वरुप श्रीराधाकृष्ण मेरा आश्रय हों ॥८॥

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