मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

वाक्'देवी हे कलामयी हे सुबुद्धि सुकामिनी...(मैथिलि) / शिव कुमार झा टिल्लू / माधवी मधुकर झा

 https://youtu.be/ovpj3P1kndA

वाक्'देवी हे कलामयी हे सुबुद्धि सुकामिनी (सरस्वती वन्दना)

-शिव कुमार झा टिल्लू 

वाक्'देवी हे कलामयी हे सुबुद्धि सुकामिनी  ज्ञान रूपे सुधि अनूपे हे सरस्वती नामिनी ! बसू अधर'मे  भाव'घर'मे शुद्ध ह्रदय सँवारि दे  ज्ञान गंगा भरि दिय' माँ विद्या भरि भरि  शारदे   करू इजोरे सभ डगरि'मे  घेरि रहलै जामिनी ...! पाणि वीणा पाणि पुस्तक हंस वाहिनी वागीशे  राग लय सुर निर्झरी बहबू हे माँ हमरो दिशे  माय देखियौ द्वंद्व एहिमन करू शमन हरि-वामिनी.. ! छल  प्रपञ्च''सँ दूर रहि रहि किछु करी जग'ले सदा  जे देलौं माँ ज्ञान सुधि बुधि बाँटि' दी ओ सर्वदा  फूटय नै शिव'के अधर'सँ  दोख कुबुद्धि के दामिनी ...! 

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