https://youtu.be/mKyoAa42YZM
सत सृष्टि तांडव रचयिता नटराज राज नमो नमः
नटराज शिवजी का एक नाम है उस रूप में जिस में वह सबसे उत्तम नर्तक हैं।
नटराज शिव का स्वरूप न सिर्फ उनके संपूर्ण काल एवं स्थान को ही दर्शाता है;
अपितु यह भी बिना किसी संशय स्थापित करता है कि ब्रह्माण्ड में स्थित सारा
जीवन, उनकी गति कंपन तथा ब्रह्माण्ड से परे शून्य की नि:शब्दता सभी कुछ
एक शिव में ही निहित है। नटराज दो शब्दों के समावेश से बना है – नट (अर्थात
कला) और राज। इस स्वरूप में शिव कालाओं के आधार हैं। शिव का तांडव नृत्य
प्रसिद्ध है। शिव के तांडव के दो स्वरूप हैं। पहला उनके क्रोध का परिचायक,
प्रलयकारी रौद्र तांडव तथा दूसरा आनंद प्रदान करने वाला आनंद तांडव। पर
ज्यादातर लोग तांडव शब्द को शिव के क्रोध का पर्याय ही मानते हैं। रौद्र तांडव
करने वाले शिव रुद्र कहे जाते हैं, आनंद तांडव करने वाले शिव नटराज। प्राचीन
आचार्यों के मतानुसार शिव के आनन्द तांडव से ही सृष्टि अस्तित्व में आती है
तथा उनके रौद्र तांडव में सृष्टि का विलय हो जाता है।
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