https://youtu.be/6NGeUhGKEjE
यह भजन 15वीं सदी में गुजराती भक्तिसाहित्य के श्रेष्ठतम
कवि नरसी मेहता द्वारा मूल रूप से गुजराती भाषा में लिखा
गया है। यह भजन उसी गुजराती भजन का हिन्दी रूपांतरण है।
कवि नरसिंह मेहता को नर्सी मेहता और नर्सी भगत के नाम से
गया है। यह भजन उसी गुजराती भजन का हिन्दी रूपांतरण है।
कवि नरसिंह मेहता को नर्सी मेहता और नर्सी भगत के नाम से
भी जाना जाता है।
नरसी मेहता (१५वीं शती ई.), गुजराती भक्तिसाहित्य
की श्रेष्ठतम विभूति थे। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की महत्ता के अनुरूप
साहित्य के इतिहासग्रंथों में "नरसिंह-मीरा-युग" नाम से एक स्वतंत्र काव्यकाल
का निर्धारण किया गया है जिसकी मुख्य विशेषता भावप्रवण कृष्णभक्ति से
अनुप्रेरित पदों का निर्माण है। पदप्रणेता के रूप में गुजराती साहित्य में नरसी का
पराई जाणे रे' पंक्ति से आरंभ होनेवाला सुविख्यात पद नरसी मेहता का ही है।
नरसी ने इसमें वैष्णव धर्म के सारतत्वों का संकलन करके अपनी अंतर्दृष्टि एवं
सहज मानवीयता का परिचय दिया है। नरसी की इस उदार वैष्णव भक्ति का
प्रभाव गुजरात में आज तक लक्षित होता है।
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड पराई जाणे रे,
पर दु:खे उपकार करे तोये मन अभिमान न आणे रे ॥
सकल लोकमां सहुने वंदे निंदा न करे केनी रे,
वाच काछ मन निश्चल राखे धन धन जननी तेनी रे ॥
समदृष्टि ने तृष्णा त्यागी, परस्त्री जेने मात रे,
जिह्वा थकी असत्य न बोले, परधन नव झाले हाथ रे ॥
मोह माया व्यापे नहि जेने, दृढ़ वैराग्य जेना मनमां रे,
रामनाम शुं ताली रे लागी, सकल तीरथ तेना तनमां रे ॥
वणलोभी ने कपटरहित छे, काम क्रोध निवार्या रे,
भणे नरसैयॊ तेनु दरसन करतां, कुल एकोतेर तार्या रे ॥
पर दु:खे उपकार करे तोये मन अभिमान न आणे रे ॥
सकल लोकमां सहुने वंदे निंदा न करे केनी रे,
वाच काछ मन निश्चल राखे धन धन जननी तेनी रे ॥
समदृष्टि ने तृष्णा त्यागी, परस्त्री जेने मात रे,
जिह्वा थकी असत्य न बोले, परधन नव झाले हाथ रे ॥
मोह माया व्यापे नहि जेने, दृढ़ वैराग्य जेना मनमां रे,
रामनाम शुं ताली रे लागी, सकल तीरथ तेना तनमां रे ॥
वणलोभी ने कपटरहित छे, काम क्रोध निवार्या रे,
भणे नरसैयॊ तेनु दरसन करतां, कुल एकोतेर तार्या रे ॥
"Riyaaz Qawwali" performs and records devotional music
of South Asia, including qawwali, bhajan, kirtan, meditation
tracks and ghazals. We have been fortunate to perform for 14
years across the United States, South America and Europe.
of South Asia, including qawwali, bhajan, kirtan, meditation
tracks and ghazals. We have been fortunate to perform for 14
years across the United States, South America and Europe.
Sonny K. Mehta leads the ensemble as the artistic director for
Riyaaz Qawwali. A Qawwal with over 29 years of classical music
training, he has spent half of that time devoted to understanding
and growing awareness of qawwali. His work has been supported
by The City of Houston, the State of Texas.
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