https://youtu.be/m36FE9x5rXo
कुछ तो दुनिया की इनायात ने दिल तोड़ दिया...सुदर्शन फ़ाकिर (१९३४-२००८)
सुदर्शन फ़ाकिर का वास्तविक नाम सुदर्शन कामरा था। वह एक भारतीय
शायर और गीतकार थे। उनकी कई ग़ज़लें, ठुमरियाँ और नज़्में बेग़म अख़्तर
और जगजीत सिंह द्वारा स्वरबद्ध की गयीं।
सुदर्शन फ़ाकिर का जन्म 1934 में फ़िरोज़पुर में हुआ। हाईस्कूल की पढ़ाई
पूरी कर वे जालंधर चले गए और डी॰ए॰वी॰ कॉलेज से बी॰ए॰ की पढ़ाई पूरी की।
कॉलेज के दौरान वे नाटकों और शायरी में बहुत सक्रिय रहे। 'ग़ालिब छुटी शराब'
और ट्रिब्यून को दिए एक साक्षात्कार के अनुसार, फ़िरोज़पुर में एक असफल प्रेम
संबंध की वजह से उन्होंने अपना जन्मस्थान हमेशा के लिए छोड़ दिया और
जालंधर में ठिकाना बना लिया जहाँ वे शुरुआत में एक गंदले कमरे में एकाकी
जीवन जिए। यह कमरा उनके कवि-शायर दोस्तों के मिलने की जगह भी था।
ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान, वे मजनू के भेष में रहे, फ़कीर की तरह फिरते
रहे (शायद यहीं उनके फ़ाकिर तख़ल्लुस की वजह रही) और शराब की लत में पड़
गए। इस दौरान की लिखी उनकी ग़ज़लें और नज़्में अधिकर उनके असफल प्रेम
संबंध की व्यथा को ही प्रतिबिंबित करती हैं।
बहुत ही सीधे सरल शब्दों में जज़्बातों को बयां करने का हुनर सुदर्शन फ़ाकिर
को एक विशिष्ट शायर का दर्जा देता है। उनकी ग़ज़लों को सुनकर हर शख़्स
को लगता है कि ये उसका ख़ुद का एहसास-ए-बयां है भले ही उसे उर्दू भाषा न
आती हो। वे पूर्वी पंजाब के चुनिंदा उर्दू शायरों में शुमार हैं। दुनियाभर के करोड़ों
ग़ज़ल प्रेमियों को अपनी रचनाओं से दीवाना बनाने वाले सुदर्शन फ़ाकिर ने
मोहब्बत, ज़िंदगी और उदासी को नए मायने दिए।
शायर और गीतकार थे। उनकी कई ग़ज़लें, ठुमरियाँ और नज़्में बेग़म अख़्तर
और जगजीत सिंह द्वारा स्वरबद्ध की गयीं।
सुदर्शन फ़ाकिर का जन्म 1934 में फ़िरोज़पुर में हुआ। हाईस्कूल की पढ़ाई
पूरी कर वे जालंधर चले गए और डी॰ए॰वी॰ कॉलेज से बी॰ए॰ की पढ़ाई पूरी की।
कॉलेज के दौरान वे नाटकों और शायरी में बहुत सक्रिय रहे। 'ग़ालिब छुटी शराब'
और ट्रिब्यून को दिए एक साक्षात्कार के अनुसार, फ़िरोज़पुर में एक असफल प्रेम
संबंध की वजह से उन्होंने अपना जन्मस्थान हमेशा के लिए छोड़ दिया और
जालंधर में ठिकाना बना लिया जहाँ वे शुरुआत में एक गंदले कमरे में एकाकी
जीवन जिए। यह कमरा उनके कवि-शायर दोस्तों के मिलने की जगह भी था।
ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान, वे मजनू के भेष में रहे, फ़कीर की तरह फिरते
रहे (शायद यहीं उनके फ़ाकिर तख़ल्लुस की वजह रही) और शराब की लत में पड़
गए। इस दौरान की लिखी उनकी ग़ज़लें और नज़्में अधिकर उनके असफल प्रेम
संबंध की व्यथा को ही प्रतिबिंबित करती हैं।
बहुत ही सीधे सरल शब्दों में जज़्बातों को बयां करने का हुनर सुदर्शन फ़ाकिर
को एक विशिष्ट शायर का दर्जा देता है। उनकी ग़ज़लों को सुनकर हर शख़्स
को लगता है कि ये उसका ख़ुद का एहसास-ए-बयां है भले ही उसे उर्दू भाषा न
आती हो। वे पूर्वी पंजाब के चुनिंदा उर्दू शायरों में शुमार हैं। दुनियाभर के करोड़ों
ग़ज़ल प्रेमियों को अपनी रचनाओं से दीवाना बनाने वाले सुदर्शन फ़ाकिर ने
मोहब्बत, ज़िंदगी और उदासी को नए मायने दिए।
"वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी", प्रसिद्ध राम धुन गीत "हे राम"
और एन सी सी का गीत " हम सब भारतीय हैं" आदि फ़ाकिर साहब की ही
रचनाएँ हैं।
और एन सी सी का गीत " हम सब भारतीय हैं" आदि फ़ाकिर साहब की ही
रचनाएँ हैं।
बेगम अख़्तर के नाम से प्रसिद्ध, अख़्तरी बाई फ़ैज़ाबादी (१९१४- १९७४) भारत
की प्रसिद्ध गायिका थीं, जिन्हें दादरा, ठुमरी व ग़ज़ल में महारत हासिल थी। उन्हें
कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा पहले पद्म श्री तथा सन १९७५ में मरणोपरांत
पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें "मल्लिका-ए-ग़ज़ल" के ख़िताब
से भी नवाज़ा गया था।
की प्रसिद्ध गायिका थीं, जिन्हें दादरा, ठुमरी व ग़ज़ल में महारत हासिल थी। उन्हें
कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा पहले पद्म श्री तथा सन १९७५ में मरणोपरांत
पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें "मल्लिका-ए-ग़ज़ल" के ख़िताब
से भी नवाज़ा गया था।
कुछ तो दुनिया की इनायात ने दिल तोड़ दिया
और कुछ तल्ख़ी-ए-हालात ने दिल तोड़ दिया
हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया
दिल तो रोता रहे ओर आँख से आँसू न बहे
इश्क़ की ऐसी रिवायात ने दिल तोड़ दिया
वो मिरे हैं मुझे मिल जाएँगे आ जाएँगे
ऐसे बेकार ख़यालात ने दिल तोड़ दिया
आप को प्यार है मुझ से कि नहीं है मुझ से
जाने क्यूँ ऐसे सवालात ने दिल तोड़ दिया
शब्दार्थ :
इनायात - अनुकम्पाओं
तल्ख़ी-ए-हालात - परिस्थिति की कड़ुआहट
रिवायात - परम्पराओं
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