मंगलवार, 18 मई 2021

आत्मा त्वम् गिरिजा मतिः.../ आदि शंकराचार्य / काव्य भावानुवाद : अरुण मिश्र

 https://youtu.be/QMsJSBd0Fwk

शिव मानस पूजा स्तुति - आदि शंकराचार्य (७८८ - ८२०)

आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं।
पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थितिः॥
संचारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्वा गिरो।
यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम्‌॥4॥ 

काव्य भावानुवाद : अरुण मिश्र 
हो तुम्हीं आत्मा मेरी, और गिरिजा मति मेरी। 
प्राण सहचर गण तेरे, गृह है तेरा मेरा शरीर। 
हैं तेरी पूजा ही भगवन,  मेरे सारे विषय-भोग 
और निद्रा है मेरी,  वस्तुतः तुझ में समाधि 
प्रत्येक पद संचार,  तेरी ही प्रदक्षिणा का प्रक्रम 
और शब्दोच्चार हर,  है तेरी ही स्तुति प्रभु 
कर्म जो-जो भी करूँ,  हैं सकल आराधन तेरे 
तुम्हीं तुम मुझमें, निहित तुझमें अखिल उपक्रम मेरे 

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