शनिवार, 1 मई 2021

लीला होती जूनी नातर.../ महाप्रभु वल्लभाचार्य के जन्म की बधाई का पद (पुष्टि मार्ग) / रचना : सगुण दास / हवेली संगीत / राजू भट्ट एवं साथी जूनागढ़

 https://youtu.be/pXFCZlnAaAg  



लीला होती जूनी नातर...

(नहीं तो, लीला पुरानी पड़ जाती...)
नातर लीला होती जूनी ।
जोपें श्री वल्लभ प्रभु प्रकट न होते, वसुधा रहती सूनी ।। १ ।।
दिन प्रति नई  नई छबि लागत, ज्यों कंचन नग चुनी ।
सगुणदास यह घर को सेवक, यश गावत जाको मुनि ।। २ ।।

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