https://youtu.be/pXFCZlnAaAg
लीला होती जूनी नातर...
(नहीं तो, लीला पुरानी पड़ जाती...)
नातर लीला होती जूनी ।
जोपें श्री वल्लभ प्रभु प्रकट न होते, वसुधा रहती सूनी ।। १ ।।
दिन प्रति नई नई छबि लागत, ज्यों कंचन नग चुनी ।
सगुणदास यह घर को सेवक, यश गावत जाको मुनि ।। २ ।।
जोपें श्री वल्लभ प्रभु प्रकट न होते, वसुधा रहती सूनी ।। १ ।।
दिन प्रति नई नई छबि लागत, ज्यों कंचन नग चुनी ।
सगुणदास यह घर को सेवक, यश गावत जाको मुनि ।। २ ।।
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